अमेरिका की तकनीकी और आर्थिक तरक्की में विदेशी छात्रों की भूमिका कितनी अहम रही है, इस पर अब एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। और इस बहस को हवा दी है भारत के पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर और मशहूर अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने।
राजन ने एक बयान में कहा कि अगर अमेरिका विदेशी छात्रों के लिए अपने दरवाज़े बंद करता है, तो यह उसकी भविष्य की ग्रोथ और इनोवेशन के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। उन्होंने सीधे तौर पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उन नीतियों की आलोचना की जो विदेशी छात्रों पर पाबंदी की दिशा में जाती हैं।
‘Sergey Brin भी एक समय स्टूडेंट ही थे’ – राजन की सीधी चेतावनी
रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू में कहा:
“Sergey Brin जैसे लोग भी अमेरिका में बतौर स्टूडेंट आए थे, और आज वो गूगल जैसे अरबों डॉलर की कंपनी के को-फाउंडर हैं। सोचिए अगर अमेरिका ने उस वक्त उन्हें रोका होता?”
उनका इशारा इस ओर था कि अमेरिका की टेक इंडस्ट्री का आधार ही विदेशी टैलेंट से बना है। यूनिवर्सिटीज, स्टार्टअप्स और रिसर्च सेंटरों में हजारों विदेशी स्टूडेंट्स ही आगे चलकर इनोवेशन का इंजन बनते हैं।
ट्रंप की नीतियों पर राजन की चिंता
रघुराम राजन ने ट्रंप प्रशासन की उस सोच को खतरनाक बताया, जिसमें इमिग्रेशन और विदेशी छात्रों पर रोक लगाने की बात कही जा रही है। उनका मानना है कि यह न सिर्फ अमेरिका की शैक्षणिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि आने वाले समय में उसकी ग्लोबल लीडरशिप को भी खतरे में डाल सकता है।
विदेशी छात्र – सिर्फ पढ़ाई नहीं, इनोवेशन का स्तंभ
राजन ने कहा कि विदेशी छात्र अमेरिका में सिर्फ पढ़ाई करने नहीं आते, बल्कि वे यहां रिसर्च करते हैं, स्टार्टअप्स शुरू करते हैं, नौकरियां पैदा करते हैं और अमेरिका की इकॉनमी को नई दिशा देते हैं।
उनके मुताबिक, अगर अमेरिका ने यह रास्ता बंद किया, तो ये टैलेंट कहीं और चला जाएगा – शायद भारत, यूरोप या फिर कनाडा जैसे देशों की ओर।
भारत के लिए क्या मौका?
अगर अमेरिका वाकई विदेशी छात्रों के लिए दरवाज़े बंद करता है, तो भारत जैसे देशों के लिए यह एक अवसर बन सकता है। भारत अपनी यूनिवर्सिटी सिस्टम को और मजबूत करके टैलेंट को देश में ही बनाए रख सकता है और रिवर्स ब्रेन ड्रेन को बढ़ावा दे सकता है।
निष्कर्ष
रघुराम राजन की बातों में गहराई है। उन्होंने अमेरिका को याद दिलाया है कि उसकी प्रगति में बाहर से आए लोगों का बड़ा हाथ रहा है। ऐसे में अगर वह टैलेंट के रास्ते बंद करता है, तो यह उसकी खुद की अर्थव्यवस्था और इनोवेशन के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
ट्रंप की नीतियों पर बहस चलती रहेगी, लेकिन एक बात तय है — टैलेंट की कोई सीमा नहीं होती, और जो देश इसे अपनाने को तैयार रहेगा, वही भविष्य में आगे रहेगा।